Friday, September 22nd, 2017 19:01:25
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अगर आप भी लेते हैं डिप्रेशन की दवा, तो हो जाएं सावधान !




अगर आप भी लेते हैं डिप्रेशन की दवा, तो हो जाएं सावधान !Health & Food

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आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में आधे से ज्यादा लोग तनाव और डिप्रेशन का शिकार हैं। इससे बचने के लिए वे ज्यादातर दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन वो नहीं जानते कि बेधड़क इस्तेमाल की जाने वाली ये दवाएं उनकी जान के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। इतना ही नहीं ये दवाएं उनको मौत की तरफ धकेल रही हैं। रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि ये दवाएं मौत के खतरे को बढ़ा रही हैं। जे लोग डिप्रेशन से बचने के लिए दवा ले रहे हैं उनकी मौत की संभावना 33 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

मैग्जीन साइकोथैरिपी और साइकोमैग्रेटिक में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दवा का सेवन करने वालों में हार्ट से संबंधित बीमारियां करीब 14 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। इस बारे में कनाडा के अंटोरिया में स्थित मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल एंड्रूज का कहना है कि हमने जो स्टडी की है उसमें ये पता चला है कि डिप्रेशन की दवाएं किस तरह से सेहत के लिए नुकसानदायक हैं।

बता दें कि दिमाग में सेराटोनिन हार्मोन के कारण ही मूड बनता और बिगड़ता है। लेकिन लोगों को ये जानकारी नहीं है कि हमारी बॉडी के मुख्य अंग जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे में सेरोटोनिन ब्लड को संचालित करने में अहम रोल निभाते हैं। डिप्रेशन से बचने के लिए ली गई दवा इन अंगों के जरिए सेरोटोनिन के अवशोषण को रोक देती हैं। जिस कारण इन अंगों को नुकसान पहुंचता है।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.कमलेश उदेनिया कहते हैं कि वैसे तो जो व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त है, उसकी बीमारी का इलाज ही ये दवाएं हैं। हां, लेकिन ज्यादा समय तक लेते रहने से हार्ट पर असर आता है और कई बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं। इसलिए खुद को सबसे पहले दवाओं से नहीं बल्कि अवसाद यानि डिप्रेशन से दूर रखें और इसे दूर करने के लिए नेचुरल तरीके अपनाएं।

अपनाएं ये नेचुरल तरीके

– तनाव को खुद पर हावी न होने दे। तनाव सोचने समझने की क्षमता को खत्म कर देता है और फितूर के ख्याल आपको घेर लेते है। अगर आप खुद से प्यार नहीं करेंगे तो आप इस समस्या से कभी बाहर निकल पाएंगे।

-अगर आपको लगता है कि किसी भी चीज़ से आपको तनाव हो रहा है तो किसी से जरूर इस बारे में बात करें। चुप रहने से और किसी से बात न कहने से तनाव न सिर्फ आपके दिमाग बल्कि शरीर पर भी बुरा असर डालेगा।

-सबसे बेहतर तरीका है अपने विचारों, बोलों में मौन को लाना। प्रकृति माहौल में शांत मन से केवल सैर करते हुए और प्रकृति की सुंदर आवाजों को सुनते हुए बिताना 20 मिनट के ध्यान के बराबर प्रभावशाली होता है।

-नियमित योग और मेडिटेशन करने से तनाव और डिप्रेशन को कम किया जा सकता है।  लगातार नियमित रूप से योग सेहत में सुधार लाने में मदद करता है। योग या ध्यान लगाने से हमारा दिमाग डीएनए प्रोसेस का रास्ता साफ कर देती है जिससे कि हमारे शरीर और दिमागी सेहत को फायदा पहुंचता है।

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