दुनिया में हर दिन कितने ही क्षेत्रों से जुड़े नए नए रिसर्च और प्रयोग होते रहते हैं। स्वास्थ्य विज्ञान में भी वैज्ञानिक हर रोज कोई न कोई प्रयोग करते हैं। ऐसा ही एक प्रयोग है बायोग्लास इम्प्लांट। इस प्रयोग ने चिकित्सा विज्ञान में एक नए आयाम को छुआ और हड्डियों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग शुरू हुआ। हड्डियों को जोड़ने के लिए नेचुरल काँच का प्रयोग होता है यह जानने और समझने में थोड़ा अजीब जरुर है, लेकिन उपयोगी है। दुनिया के कई देशों में डॉक्टर प्राकृतिक काँच की मदद से टूटी हड्डियां जोड़ने का काम कर रहे हैं।
बायोग्लास कोई साधारण कांच नहीं है बल्कि बहुत ख़ास है। यह न सिर्फ़ हड्डियों से ज़्यादा मज़बूत है बल्कि मुड़ भी सकता है। इसकी वजह से इन्फ़ेक्शन भी नहीं होता। इस कांच का प्रयोग मशहूर टूथपेस्ट कंपनी सेंसोडाइन अपने प्रोडक्ट को ज्यादा असरदार बनाने के लिए करती है। बायोग्लास दांतों की टूट-फूट की मरम्मत में बहुत कारगार है। साल 2010 के बाद इस कंपनी ने इसका प्रयोग शुरू किया था। इस टूथपेस्ट से जब दांत साफ़ किए जाते हैं तो बायोग्लास घुलता रहता है और कैल्शियम फॉस्फेट के आयन निकलते रहते हैं। ये नए दांतो के बनने में मदद करते हैं।
बायोग्लास का आविष्कार साल 1969 में अमरीका के वैज्ञानिक लैरी हैन्क ने किया था। उन्होंने अपना रिसर्च अमरीका में ही शुरू किया था लेकिन बाद में वह लंदन आ गए, जहां के डॉक्टर आज बायोग्लास का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसका प्रयोग हड्डियां जोड़ने से लेकर दांतों का इलाज कराने और नए दांत बनाने तक में होता है। करीब दस साल तक बायोग्लास का इस्तेमाल पाउडर की शक्ल में होता रहा। इसकी पुट्टी बनाकर फ़्रैक्चर ठीक किया जाता था।