Wednesday, September 6th, 2017 22:47:27
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आप कितनी भाषाएँ बोलते हैं? देश में 47 और भाषाओँ का चला है पता




आप कितनी भाषाएँ बोलते हैं? देश में 47 और भाषाओँ का चला है पताArt & Culture

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क्या आपको अंदाजा भी है कि हमारे देश में कितनी भाषाएँ प्रचलित हैं और कुल कितनी भाषाएँ हैं? भारत में संविधान द्वारा 22 भषाओं को राजभाषा का दर्जा मिला है. भारत में इन 22 भाषाओं को बोलने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 90% है। इन 22 भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी भाषा सहायक राजभाषा है और यह मिज़ोरम, नागालैण्ड तथा मेघालय की राजभाषा भी है। भारत में कुल मिलाकर 58 भाषाएँ स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम हैं।

भारत को विभिन्नताओं का देश कहा जाता है और भारत में विभिन्नता का स्वरूप न केवल भौगोलिक है, बल्कि भाषायी तथा सांस्कृतिक भी है। सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश हैं, जहां हर शहर नहीं, बल्कि हर गांव, हर जिले के साथ भाषा बदल जाती है। देश में 22 मान्यता प्राप्त राजभाषाओं के अलावा विभिन्न सभ्यता, संस्कृति के साथ लगभग 780 भाषाएं बोली जाती हैं। देश में करीब सौ साल पहले, सबसे पहला भाषा सर्वेक्षण ब्रिटिश काल में जाॅर्ज ग्रियर्सन ने 1903 से 1928 के बीच किया था उनके इस सर्वेक्षण से उन्होंने 733 भाषाओं का पता लगाया  था, जिसमें 544 बोलियां भी थीं।

लेकिन अब एन डेवी के नेतृत्त्व में हुए एक और भाषा सर्वेक्षण से हमारे देश की भाषाई विभिन्नता को और मजबूत आधार मिला है, इस सर्वे से कुल 780 भाषाओं का पता चला है। गुजरात के वड़ोदरा स्थित भाषा शोध एवं प्रकाशन केंद्र द्वारा सात साल में किये गए इस महत्वाकांक्षी भारतीय जन भाषा सर्वेक्षण से यह मालूम हुआ है कि देश में 47 भाषाएं और हैं जिनका पता ब्रिटिश काल में जाॅर्ज ग्रियर्सन भी नहीं लगा पाए थे। इस पूरे सर्वे में सात सौ भाषा कार्यकर्ता और 320 भाषा विशेषज्ञों की टीम का योगदान रहा, पूरी टीम ने देश भर में घूम-घूमकर इस सर्वेक्षण को पूरा किया है।

कुछ भाषा विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी देश में 80 से 100 भाषाएँ हैं जिनका प्रयोग होता है लेकिन उनका पता अभी भी नहीं चला है. साथ ही विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि बहुत सी भाषाएँ ऐसी भी हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं और उनका कोई सर्वे नहीं हुआ है तो अभी भी ये जानना मुश्किल है कि भारत में कुल मिलाकर कितनी भाषाएँ अभी तक रही हैं और अभी भी हैं। अगर सभी भाषाओँ को जोड़ा जाए तो आंकड़ा 850 के पार ही जाएगा।

हमारा देश एक विशाल देश हैं और जितनी भाषाई विविधता यहाँ है, इतनी दुनिया के किसी भी देश में नहीं है और इस दृष्टि से यह एक अनोखा देश है। हमारे देश की समृद्धता भी यही है कि इतनी भाषाएं और बोलियां यहां बोली जाती हैं। इससे देश की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं का भी पता दुनिया को चलता है।

इस सर्वे से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा कि यह सर्वेक्षण अगले वर्ष तक 60 खंडों में प्रकाशित करने की योजना है जिसमें से 26 का लोकार्पण पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। यह सर्वे अभी जीवित भाषाओँ पर ही किया गया है. पिछले 100 वर्षों में बहुत सी भाषाएँ विलुप्त हो गई हैं तो उन्हें इस सर्वे में सम्मिलित नही किया गया है. यूनेस्को ने भी अपने सर्वेक्षण में 200 भारतीय भाषाओं के समाप्त होने का खतरा बताया है लेकिन उसमे कई ऐसी भाषाएं भी हैं जो संकट में नहीं हैं। इसलिए उसका सर्वेक्षण पूरी तरह सही नहीं है।

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